निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 4 नवंबर 2024

नारी और पुरुषार्थ

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 अग्नि का स्त्रीलिंग होना योजनाबद्ध शब्दावली नहीं और नदी का स्त्रीलिंग होना एक व्याख्यावाली नहीं दोनों सृष्टि संवाहक हैं एक शीतल दूजा पावक ह...
रविवार, 3 नवंबर 2024

साहित्य

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 गुदगुदाती अनुभूतियां कल्पनाओं में रच दर्शाती है मुद्राएं करती है थिरकन  तब सजा देता है भाव विभिन्न प्रतीक, बिम्ब से, आप भी होती हैं पुलकित ...
शुक्रवार, 1 नवंबर 2024

चुइंग गम

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 चुइंग गम की तरह तुम्हें चुभलाता मस्तिष्क कभी नही कहता  है इश्क़ और तुम भी भला कैसे बोलो है मर्यादा का घूंघट, मन मनन करता छनन छनन करता कल्पना...

उलझी हिंदी

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 नाटक खेल तमाशा है उलझी हिंदी भाषा है नए शब्द नहीं भाए अंग्रेजी शब्द लिख जाएं हिंदी से ना नाता है उलझी हिंदी भाषा है किसको क्या है पड़ी मुरझा...

स्वार्थी

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 गुजरी कई ढीठ बता अपनी चाह को मिटा पुरुष-नारी युग धर्म वासना ही नहीं कर्म रौंदी कामना पैर लिपटा अपनी चाह को मिटा जितनी मिली सर्जक थी बातें ख...
गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

हाँथ पकड़ लें

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 बर्तन जितनी भूख हो गई अदहन नहीं सुनाने को भरसांय सा जग लगे क्या-क्या चला भुनाने को पेट अगन अब जग गगन कौन आता समझाने को जग दहन में कहां सहन ...
मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

एकताल

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 जब दिए में रहे छलकता घी-तेल रंग लाती ज्योति-बाती-दिया मेल इधर-उधर न जलाएं भूल पंक्तियां किधर-किधर देखिए हैं रिक्तियां अनुरागी उत्तम विभेद क...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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