निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 19 अगस्त 2024

प्रीति

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 मन उलझा एक द्वार पहुंच प्रीति भरी हो रही है बतियां सांखल खटका द्वार खुलाऊँ डर है जानें ना सब सखियां बतरस में भावरस रहे बिहँसि गति मति रचि स...
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रक्षा बंधन

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 खुला रुंधा स्वर दिव्यता पसर गयी राखी का त्योहार तृष्णापूर्ति कर गयी प्रत्येक जुड़ा रचनाकार कुछ लिख गया प्रत्येक मिठास सिंचित तर कर  गयी भावन...
रविवार, 18 अगस्त 2024

रंगीली डोरियां

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 दृष्टि को बाधित न कर पाए दूरियां खींच लेती लटकती रंगीली डोरियां कोई स्कूटर से उतरे कोई उतरे कार पैदल कोई अपलक सड़क करता प्यार शाम का बाजार र...
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गुरुवार, 15 अगस्त 2024

असुलझी कहानियां

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 जीवन की हैं कुछ अपनी निज बेईमानियां कहते नहीं थकता मन असुलझी कहानियां एक दरस रचना भाव निभाव बन गया एक सरस था संवाद स्वभाव बन गया कहन के दहन...
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सोमवार, 12 अगस्त 2024

शेष रचना

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 रचित हो गए शेष फिर भी है रचना हर भाव कह रहा फिर कैसा कहना कहां कोई रुकता है जब तक स्पंदन समय रचता मुग्धकारी नव निबंधन हर एक प्राण चाह नित ज...

मत आओ

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 मत आओ मुझसे करने प्यार हो गया तो स्वयं करो सत्कार आरम्भिक दो महीने मधुर झंकार फिर होती नौका बिन पतवार प्रश्न उठता बलखाती क्यों धार हो गया त...
शनिवार, 10 अगस्त 2024

प्रत्यंचा

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 द्रुम अठखेलियों में देखा न जाए जग पीर तुम प्रत्यंचा बन जाओ मैं बन जाऊं तीर अब प्रणय में उभर रहा जीवन का संज्ञान चुम्बन आलिंगन से विचलित हुआ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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