निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 12 अगस्त 2024

शेष रचना

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 रचित हो गए शेष फिर भी है रचना हर भाव कह रहा फिर कैसा कहना कहां कोई रुकता है जब तक स्पंदन समय रचता मुग्धकारी नव निबंधन हर एक प्राण चाह नित ज...

मत आओ

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 मत आओ मुझसे करने प्यार हो गया तो स्वयं करो सत्कार आरम्भिक दो महीने मधुर झंकार फिर होती नौका बिन पतवार प्रश्न उठता बलखाती क्यों धार हो गया त...
शनिवार, 10 अगस्त 2024

प्रत्यंचा

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 द्रुम अठखेलियों में देखा न जाए जग पीर तुम प्रत्यंचा बन जाओ मैं बन जाऊं तीर अब प्रणय में उभर रहा जीवन का संज्ञान चुम्बन आलिंगन से विचलित हुआ...

आग लगे

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 आग लगे व्यक्ति मरे अपनी बला से निर्द्वन्द्व प्रेम करें अपनी ही कला से हर तरफ निर्मित हैं नव लक्ष्मणरेखाएं मुगलकालीन शौक से जीवन गुनगुनाएं क...

राहुल आनंदा

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 यह कैसा फंदा राहुल आनंदा बांग्लादेश के लोकप्रिय लोकगायक लोकसंस्कृति के अच्छे कलानायक वाद्य धुन मसल दंगा राहुल आनंदा आक्रमणकारी भी थे संगीत ...
शुक्रवार, 9 अगस्त 2024

अति बौद्धिक

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 अति बौद्धिक होते हैं तार्किक तूफान तर्क दौड़ाते है घिरता मध्यार्थी मचान दौड़ना इनको न आता करते चहलकदमी बचते-बचाते चलें कहीं हो न गलतफहमी टंका...
गुरुवार, 8 अगस्त 2024

मुखौटा

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 थक रही हृदय उमंगें, पसार दो अंकुरित हैं भाव कई, संवार दो यह समाज है बड़बोला, बड़दिखावा यथार्थ संभव नहीं तो, करो दिखावा प्रतिद्वंदियों का दे स...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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