निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024

नरम हो गए

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 पचीसों भरम के करम हो गए याद आए तो हम नरम हो गए मन की आवारगी की कई कुर्सियां अनगढ़ भावों की बेलगाम मर्जियाँ  ना जाने किसके वो धरम हो गए याद आ...
बुधवार, 17 अप्रैल 2024

छू लें हौले से

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 आइए बैठकर चुनें रुई की सफेदी धवलता अब मिलती कहां है तमस में बत्तियों की टिमटिमाहट सरलता रब सी मिलती कहां है अपने घाव पर लें रख रुई फाहा टीस...
सोमवार, 15 अप्रैल 2024

शरीर

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 हिंदी साहित्य में रूप का बहु कथ्य है शरीर एक तत्व है क्या यही तथ्य है जब हृदय चीत्कारता, क्या वह बदन है तथ्य आज है कि, जीव संवेदना गबन है ...
रविवार, 14 अप्रैल 2024

ऋचा

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  अभिव्यक्तियां करे संगत कामना शब्द संयोजन है जिसकी साधना   जब पढ़ें शब्द लगे जैसे स्केटिंग शब्द दिल खींचे सम्मोहन मानिंद शब्दों ...
शनिवार, 13 अप्रैल 2024

अतृप्ता

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  कौन सी गली न घूमी है रिक्ता वही जिसकी उपलब्धि है अतृप्ता   विभिन किस्म के पुरुषों से मित्रता फ्लर्ट करते हुए करें वृद्ध निजता ...

मान लीजिए

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  अचरज है अरज पर क्यों न ध्यान दीजिए बिना जाने - बुझे क्यों मनमाना मान लीजिए   सौंदर्य की देहरी पर होती हैं रश्मियां एक चाह ही बेब...
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

रसिया हूँ

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  जीवन के हर भाव का मटिया हूँ हाँ मैं रसिया हूँ   प्रखर चेतना जब भी बलखाती है मानव वेदना विस्मित सी अकुलाती है उन पलों का प्रेम ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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