निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 8 अप्रैल 2024

रूठ गईं

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 वह मुझसे गईं रूठ किसी बात पर रह गई बातें अधूरी सी गांठ भर दिल भी बोले पर पूरा ना बोल पाए मन के आंगन रंग विविध ही दिखाए अभिलाषाएं हों मुखरित...

साहित्यिक चोरी

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 चुरा ले गया कोई कविता की तरह यह आदत नहीं अनमनी प्यास है छप गयी नाम उनके चुराई कविता हिंदी लेखन की हुनहुनी आस है छपने की लालसा लिखने से अधिक...

करिश्माई आप

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 सघन हो जतन हो मगन हो करिश्माई आप का गगन हो भावनाओं की विविध उत्पत्तियाँ कामनाओं की कथित अभिव्यक्तियां आप सृजनकर्ता कुनकुनी तपन हो करिश्माई ...
रविवार, 7 अप्रैल 2024

कागतृष्णा

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याद उनकी आती क्यों है एकाएक मन बहेलिए सा क्यों दौड़ पड़ा काग तृष्णा देख आया सब जगह अब तो मिलता ही नहीं जलघड़ा   रिश्ते के बिना भी रहे...
गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

व्योम को नहलाएं

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 आ समंदर बाजुओं में, व्योम ओर धाएं छल-कपट मेघ करे, व्योम को नहलाएं तृषित वहीं है व्योम, छल का है क्षोभ साथ चलना उन्मत्त उड़ना, मेघ का लोभ साग...
बुधवार, 3 अप्रैल 2024

फुलझड़ियाँ

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 अधर स्पंदित अस्पष्ट नयन तो हैं स्पष्ट ताक में भावनाएं कब लें झपट जहां जीवंत समाज दृष्टि छल कपट चुहलबाजी में कहें चाह तू टपक इतने पर आपत्ति ...
मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

देहरी

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देहरी पहुंचा उनके, देने कदम आभार समझ बैठी वह, आया मांगने है प्यार ठहर गया वह कुछ भी ना बोला नहीं सहज माहौल प्रज्ञा ने तौला फिर बोली क्यों आए...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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