निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 28 मार्च 2024

पहल प्रथम

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 होठों पर शब्द रहे भागते अधर सीमाएं कैसे डांकते हृदय पुलक रहा था कूद भाव उलझे हुए थे कांपते सामाजिक बंधनों की मौन चीख नयन चंचल, पलक रहे ढाँप...
बुधवार, 27 मार्च 2024

मठाधीश

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 तलहटी में तथ्य को टटोलना सत्य के चुनाव की है प्रक्रिया कर्म की प्रधानता कहां रही चाटुकारिता बनी है शुक्रिया है कोई प्रमाण कहे तलहटी घोषणाएं...

देह

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 देह कहां अस्तित्ब है मनवा आत्म प्रीति ही जग रीति रूप की आराधाना है भ्रम आत्मचेतना ही नव नीति देह प्रदर्शन देता मोबाइल दैहिक कामना ढलम ढलाई ...
सोमवार, 25 मार्च 2024

मीते

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 होली यह पढ़ हुई मालामाल “मीते के गाल पर गुलाल” "वाह! मन गयी अबकी होली" प्रफुल्लित अंतर्चेतना तब बोली भाव-भाव मिल रंग धमाल “मीते के...
शनिवार, 23 मार्च 2024

ओ मनबसिया

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 सब मनबतिया जग सारी रतिया, ओ मनबसिया चांद पिघल तकिया संग झूमे, झिलमिल रतिया  अभिलाषाओं के आंगन में दृग हुलसित छाजन हृदय उल्लसित तो करे कौन उ...
शुक्रवार, 22 मार्च 2024

भोर में

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 भोर में खुलती हैं पलकें हृदय में आपका स्पंदन पलक फिर बंद होती हैं प्रणय का होता है वंदन सुनती आप हैं क्या निस नेह का उन्मुक्त निबंधन स्मरण ...
गुरुवार, 21 मार्च 2024

नारी

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 सघन हो गगन हो मनन हो सहन हो समझ हो नमन हो सदियों से प्रकृति में है बसेरा देहरी के भीतर की हैं सवेरा जीवन डगर पर भी चमन हो सहन हो समझ हो नमन...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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