निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

गुलाब

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  चल गुलाब ढल गुलाब हलचल सा तू बन गुलाब   अंगुलियों के स्पर्श बतलाएं पंखुड़ियों भाव लिपट अंझुराएं छुवन से जाने इश्क़ नवाब हलचल स...

व्यक्ति

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 कल्पनाएं अथक पथिक भाव से राहें रचित लक्ष्य लंबा हो गया व्यक्ति कहीं खो गया मैं से कौन है परिचित रोम-रोम संपर्क जड़ित सरायखाना हो गया व्यक्ति...
गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

नारीत्व

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  अकेले स्व स्पंदित हूँ तो लगे नारीत्व घेरा है आत्म आनंद प्लावित हो लगे यह कैसा फेरा है   भाव तब शून्य रहता है लगे अव्यक्त अंध...
बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

फिर यार चलें

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 अकुलाती चेतना में फिर वही बयार चले प्रीत की प्रतीति संग चल फिर यार चलें भटक गया मन था नव आकर्षण पीछे कहां वह प्रतिभा मुझ जैसे कोई सींचे अब ...
सोमवार, 5 फ़रवरी 2024

चाहतों की झुरमुट

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 मुझे प्यार का वह सदन कह रहे चाहतों की झुरमुट से नमन कर रहे ऐसी लचकन कहां देती है जिंदगी चाहतों में समर्पण की जो बुलंदगी कैसे साँसों में सरग...
रविवार, 4 फ़रवरी 2024

सूरज

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 मुट्ठी में भरकर शाम सिंदूरी सूरत जो चलने लगा बीच बस्तियां चमकने लगे कई सूरज नयन खुल गए सारे दरवाजे खिड़कियां तंग गलियों थी ठुसी बैठी चाल समे...
शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

लेखन में नारी

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 अधिकांश पुरुष के लेखन में केंद्र नारी त्याग, तपस्या, समर्पण की अभिव्यक्तियां नारी सब सह ले धरा की तरह गजब का कपट, पुरुष पार्श्व आसक्तियां भ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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