निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 4 फ़रवरी 2024

सूरज

›
 मुट्ठी में भरकर शाम सिंदूरी सूरत जो चलने लगा बीच बस्तियां चमकने लगे कई सूरज नयन खुल गए सारे दरवाजे खिड़कियां तंग गलियों थी ठुसी बैठी चाल समे...
शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

लेखन में नारी

›
 अधिकांश पुरुष के लेखन में केंद्र नारी त्याग, तपस्या, समर्पण की अभिव्यक्तियां नारी सब सह ले धरा की तरह गजब का कपट, पुरुष पार्श्व आसक्तियां भ...

दीवानी

›
  प्यार श्रृंगार अधर रचकर खुमार आधार के अनुरागी किस रूप मिलन दृग का क्या प्रणय रीत है सहभागी   मुस्कान दबी कथा रचित किस विधि ह...
शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

मोहब्बत का महीना

›
  यूं पंख समेटे कब तक जीना है उड़िए कि मोहब्बत का महीना है   पलक सींच लीजिए अकुलाहट भर उड़ चलिए खूबसूरत रंगीन हैं पर प्रकृति ने सौ...
गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

मस्तूल हो गए

›
  आईने में भाव चेहरा फिजूल हो गए जब से वो यकायक मस्तूल हो गए   एक सोच उधार का बिन विश्लेषण मस्तूल होकर पा गए एक विशेषण कर्म कर र...
बुधवार, 31 जनवरी 2024

किसान

›
 सूर्य रखता भाल पर तन पूर्ण स्वेद माटी से कलरव कृषक करे बिन भेद माटी मधुर संगीत बन फसलें लहराए वनस्पति संग जुगलबंदी से फल इतराएं कृषक चषक सा...

चलन

›
  अस्तित्ब में नित अहं का दहन बौद्धिकता का कैसा यह चलन   सत्य के कथ्य से कटकर दूर चाटुकारिता करें कहते हुए हुजूर नई पीढ़ी देख रही...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.