निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

मस्तूल हो गए

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  आईने में भाव चेहरा फिजूल हो गए जब से वो यकायक मस्तूल हो गए   एक सोच उधार का बिन विश्लेषण मस्तूल होकर पा गए एक विशेषण कर्म कर र...
बुधवार, 31 जनवरी 2024

किसान

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 सूर्य रखता भाल पर तन पूर्ण स्वेद माटी से कलरव कृषक करे बिन भेद माटी मधुर संगीत बन फसलें लहराए वनस्पति संग जुगलबंदी से फल इतराएं कृषक चषक सा...

चलन

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  अस्तित्ब में नित अहं का दहन बौद्धिकता का कैसा यह चलन   सत्य के कथ्य से कटकर दूर चाटुकारिता करें कहते हुए हुजूर नई पीढ़ी देख रही...
सोमवार, 29 जनवरी 2024

लीपें अंगना

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  गद्य - पद्य संरचना भांवों के कंगना सबकी अपनी मर्जी लीपें जैसे अंगना   कुछ चाहें लिखना निर्धारित जो मानक कुछ की अभिव्यक्तियां मुक...

हो जाऊंगा अशुद्ध

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 मन को ना छुओ नहीं मैं बुद्ध छुओगे तो हो जाऊंगा मैं अशुद्ध प्रीत प्रणय है सदियों की बीमारी रीत नीति है वादियों की ऋतु मारी मुझसे जुड़कर प्रवा...
रविवार, 28 जनवरी 2024

प्रणय

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 जब हृदय पुष्पित हुआ प्रणय आभासित हुआ व्योम तक गूंज उठी दिल आकाशित हुआ अभिव्यक्तियों की उलझनें भाव आशातित हुआ प्रणय की पुकार यह सब अप्रत्याश...
शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

स्व

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  सर्जना का उन्नयन हो अर्चना दे विश्वास आत्मा जब लेती है जकड़ अपने बाहुपाश   मन करता सर्जना लिपटाए प्रकृति अनुराग स्व में सृष्टि सम...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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