निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 29 जनवरी 2024

लीपें अंगना

›
  गद्य - पद्य संरचना भांवों के कंगना सबकी अपनी मर्जी लीपें जैसे अंगना   कुछ चाहें लिखना निर्धारित जो मानक कुछ की अभिव्यक्तियां मुक...

हो जाऊंगा अशुद्ध

›
 मन को ना छुओ नहीं मैं बुद्ध छुओगे तो हो जाऊंगा मैं अशुद्ध प्रीत प्रणय है सदियों की बीमारी रीत नीति है वादियों की ऋतु मारी मुझसे जुड़कर प्रवा...
रविवार, 28 जनवरी 2024

प्रणय

›
 जब हृदय पुष्पित हुआ प्रणय आभासित हुआ व्योम तक गूंज उठी दिल आकाशित हुआ अभिव्यक्तियों की उलझनें भाव आशातित हुआ प्रणय की पुकार यह सब अप्रत्याश...
शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

स्व

›
  सर्जना का उन्नयन हो अर्चना दे विश्वास आत्मा जब लेती है जकड़ अपने बाहुपाश   मन करता सर्जना लिपटाए प्रकृति अनुराग स्व में सृष्टि सम...
बुधवार, 24 जनवरी 2024

दिल एक

›
  कोई तो बताए एक से अधिक प्यार दिल एक कैसे अनेक का अधिकार   पंखुड़ी की ओस में लिपट भावनाएं सुगंध सी प्रवाहित होकर कामनाएं पलकों स...
रविवार, 21 जनवरी 2024

रामजन्मभूमि

›
  झंडों ने सड़कों को इजाजत दे दी भक्ति दे दिया और इबादत ले ली   आक्रमणकारी मुगल वंश का था दंश हमसे ही हमारा चुरा लिया था अंश मानस...
शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

सुतृप्ता, अतृप्ता

›
 सुतृप्ता, अतृप्ता, स्वमुक्ता सुतृप्ता एक नारी एक रचना एक कृति एक वृत्ति अतृप्ता एक क्यारी मति दुधारी नया तलाशती निस संवारती स्वमुक्ता एक अट...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.