निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 9 जनवरी 2024

विश्व हिंदी दिवस

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 हिंदी विश्व दिवस कौन मनाता सहर्ष कागज का यह घोड़ा हिंदी का कहां उत्कर्ष एक शोर अनर्गल कहता है चल भाषा भाग्य विधाता भाषा पर मचल मोबाइल संचालन...

सहन की महारानी

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 हथेलियों की अंगुलियां उलझाना चाहता हूँ तुम्हारे दर्द को मैं यूं पहचानना चाहता हूँ बहुत हो छिपाती तुम अपनी कहानी खुशियां लपेटे सहन की ऐ महार...

चली गई

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 कौन जाने कौन सी बला टल सी गई भाग्य का सहारा था एकदिन चली गई सुबह होते ही व्हाट्सएप पर झंकार प्रीतमयी संवेदना का आदर सत्कार नित नए अंदाज चाह...
सोमवार, 8 जनवरी 2024

मालदीव हो गए

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 कैसे कहें वह आत्मिक सजीव हो गए सहयोग था प्रचुर पर मालदीव हो गए भव्यता में सम्मिलित अभिनव योगदान अभिव्यक्तियों में फूंके मिल चेतना प्राण विव...
1 टिप्पणी:

ना मानें

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 तृषित है अधर मगर रीत न्यारी ना माने हैं वह रचित प्रीत क्यारी यह रचना नहीं एकल सद्प्रयास रहे दो हृदय एक-दूजे के निवास बोया कोई काटे जबर तरका...
रविवार, 7 जनवरी 2024

छोरी

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 चाहत की इतनी नहीं कमजोरी क्यों आऊं मैं तुम्हारे पास छोरी गर्व के तंबू में तुम्हारा है साम्राज्य चापलूसों संग बेहतर रहता है मिजाज सत्य के धर...

क्या करूँ

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 चांदनी बादलों से अचानक गयी सिमट क्या करूँ व्योम से बोला बादल लिपट प्यार उर्ध्वगामी इसकी प्रकृति ना अवनति यार मात्र एक ठुमकी सहमति या असहमति...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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