निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

भावों की क्यारी

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 कितने नयन निकस गए कसने की बारी में  मिली तुम बहुत देर से भावों की क्यारी में कहे समाज दृष्टि ब्याहता, यह पारिवारिक कदम बढ़ गए पक क्या यह है ...
बुधवार, 6 दिसंबर 2023

चेतना

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 चेतना में जड़ता या जड़ता में चेतना दृष्टि का कार्य यही इनको है भेदना विश्व में निर्माण या निर्माण से निर्वाण ज्ञानियों की बातों में दिखते कई ...
मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

समय

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  बहुत जी लिए ऐसे जीवन को कसके समय जा रहा छूकर यूं हंसते - हंसते   कभी दिल न सोचा सौगात क्या है हसरती दुनियादारी की औकात क्या है ...
शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023

छुवन

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  तुम्हें अपनी बातें कहने लगे तो तुमको लगे , मशवरा हो गया   अपने कथन में वचन सब समेटे पुतला खड़ा , दशहरा हो गया   जहां से बही थ...

किसान

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 प्रस्ताव सविनय निवेदित आगत तो होता अतिथि कौन कलेवा आज बंधा कौन हल से है नधा कौन धूप से व्यथित आगत तो होता अतिथि संग कलेवा आया संदेसा मचान क...
गुरुवार, 30 नवंबर 2023

तूफान है आनेवाला

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 मन उमस सा भाव सहज चितवाला अभिव्यक्तियां ठहरी तूफान है आनेवाला सबसे कटकर रहना और बात न करना एक अजीब खामोशी का रहता धरना विषय अधूरे सब मन ना ...
बुधवार, 29 नवंबर 2023

प्लास्टिक फुलवारी

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 हृदय स्पंदनों की पर्देदारी यही सभ्यता यही होशियारी कामनाओं के प्रस्फुटन निरंतर अभिव्यक्तियों के सब सिकंदर गुप्तता में सकल कर्मकारी यही सभ्य...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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