निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 10 अगस्त 2022

हिंदी

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शब्द की टहनियों में प्यास है भाव की वृष्टि भी उदास है बिखर रही है यह जुगलन्दी लिखिए आपके जो पास है चंद नामों से बचिए हैं मशहूर चिंतन आपका भ...
बुधवार, 3 अगस्त 2022

उड़ गई गौरैया

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न खोने का दर्द न पाने की खुशियां वह दर्द में न हो बंद है अभी बतियां उड़ गई गौरैया या जाल की दुनिया पीड़ा में ना रहे अभी सखा न सखियां संवादह...
मंगलवार, 24 मई 2022

अपहरण

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कब चले थे, राह भी है भ्रमित पांवों को दूरी का भी नहीं पता कब निर्मित ही गयी यह दूरियां वक़्त कहता समय से अब तो बता प्रकति यह सम्पूर्ण है डगम...

नदिया

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कितनी मंथर चल रही नदिया भावनाएं तैर कर तट छू गयी यह प्रकृति है या नियति डगर चलन है अंदाज लट खो गयी तेज नदिया थी तो लट भी था लहरें केश संवार...

आघात

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ना आदर का ही है भूखा कहे बस सत्य लगे रूखा एक आघात ही निर्माण है सजगता तो बस एकमुखा क्यों चर्चा हो कहीं अक्सर क्यों बातें दे अक्सर झुका अपनी...
गुरुवार, 12 मई 2022

पर्देदारी

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 सत्य सजल नयन उपवन भावों की अविरल शीतलता हर सृष्टि रचे अपनी धुन में जग अपनी रचे लखि नीरवता शब्दों का क्षद्म उपयोग नहीं संवाद प्रवाहित निर्मल...
बुधवार, 11 मई 2022

ढह रही वह

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 एक मेरी सर्जना विकसित अंझुरायी भावनाएं अति चंचल कृति घबराई लड़खड़ाहट में टकराहट की ही गूंज फिर भी न जाने रहती है इतराई रुक गयी है इसलिए ढह रह...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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