निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 24 मई 2022

अपहरण

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कब चले थे, राह भी है भ्रमित पांवों को दूरी का भी नहीं पता कब निर्मित ही गयी यह दूरियां वक़्त कहता समय से अब तो बता प्रकति यह सम्पूर्ण है डगम...

नदिया

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कितनी मंथर चल रही नदिया भावनाएं तैर कर तट छू गयी यह प्रकृति है या नियति डगर चलन है अंदाज लट खो गयी तेज नदिया थी तो लट भी था लहरें केश संवार...

आघात

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ना आदर का ही है भूखा कहे बस सत्य लगे रूखा एक आघात ही निर्माण है सजगता तो बस एकमुखा क्यों चर्चा हो कहीं अक्सर क्यों बातें दे अक्सर झुका अपनी...
गुरुवार, 12 मई 2022

पर्देदारी

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 सत्य सजल नयन उपवन भावों की अविरल शीतलता हर सृष्टि रचे अपनी धुन में जग अपनी रचे लखि नीरवता शब्दों का क्षद्म उपयोग नहीं संवाद प्रवाहित निर्मल...
बुधवार, 11 मई 2022

ढह रही वह

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 एक मेरी सर्जना विकसित अंझुरायी भावनाएं अति चंचल कृति घबराई लड़खड़ाहट में टकराहट की ही गूंज फिर भी न जाने रहती है इतराई रुक गयी है इसलिए ढह रह...
1 टिप्पणी:
सोमवार, 11 अप्रैल 2022

अजान और चालीसा

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 धर्म वर्चस्वता स्वाभाविक अर्चनाएं भी जरूरी अजान की गूंज पाक हनुमान चालीसा ना मजबूरी, सौम्य और शांत धर्म कोलाहल भूने जैसे तंदूरी लाउडस्पीकर ...
रविवार, 10 अप्रैल 2022

शक्ति साध्य

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 राष्ट्र ना हो कभी धृतराष्ट्र राग अपना जो संवारिए झोंके न बहा लें लुभावने धार संस्कृति की निखारिए वैभव, पद, यौन के खुमार धर्म राह से इनको गु...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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