निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 15 जून 2021

छल

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बहुत अनुराग था  हां प्यार था  दिल भी कहता है  वह यार था; पर प्रसिद्धि की थी भूखी  रिश्तों से विराग था  पर अंदाज उसके  जिसमें नव पराग था;  जी...
सोमवार, 14 जून 2021

दूजे से बतियाती है

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 पहला न करे फोन जुगत यह लगाती है पहले को ब्लॉक कर दूजे से बतियाती है सोशल मीडिया पर साहित्य प्रेम गांव कुछ न कुछ लिखते सब इसके छांव लिख उन्म...

घातक कई नारी

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 चूस लो यूं जूस लो स्वार्थी हितकारी सम्मान के प्रलोभन में घातक कई नारी काव्य लेखन सीखना या कि गद्य लेखन बोलती शिक्षित हैं पर अब तक संग बेलन ...
शनिवार, 12 जून 2021

गीत लिखे

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गीत लिखो कोई भाव सरणी बहे मन की अदाओं को वैतरणी मिले यह क्या कि तर्क से जिंदगी कस रहे धड़कनों से राग कोई वरणी मिले अतुकांत लिखने में फिसलने ...
8 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 4 जनवरी 2021

उसकी आवारगी

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उसकी आवारगी भी कितनी बेमिसाल है  देख जिसे तितलियां भी हुई बेहाल हैं  उसकी ज़िद भी उसकी ज़िन्दगी सी लगे  घेरे परिवेश उलझे आसमां की तलाश है;  उन...
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मंगलवार, 5 मई 2020

कविता और शराब

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कविता भी शराब होती है रंग लिए ढंग लिए उमंग की तरंग लिए व्यक्ति में घुल खोती है कविता भी शराब होती है इसमें कवि "फ्लेवर" है...
1 टिप्पणी:
सोमवार, 27 अप्रैल 2020

संतों की हत्या

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संतों की हत्या कर रही मुझसे बात निहत्थों की घेर हत्या है कोई घात एक हवा कहीं बिगड़ी बेखौफ हो चुप रहना जीवंतता की न सौगात निहत्थों की हत...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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