निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

त्वरित दृग

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त्वरित दृग हास्य विस्मित करे मृगसमान मन विस्तारित पंख लिए चंचला चपला चतुर्दिक दृश्यावली अगवानी करें तुम्हारी हम शंख लिए शुभता शुभ्र सं...
रविवार, 1 अप्रैल 2018

नया दौर

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मन संवेदनाओं का ताल है आपका ही तो यह कमाल है लौकिक जगत की अलौकिकता दृश्यपटल संकुचित मलाल है कभी टीवी, दैनिक पत्र, मोनाईल स्त्रोत यही ...
शनिवार, 31 मार्च 2018

एकात्म

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मुक्त कितना हो सका है मन भाव कितने रच रहे गहन आत्मा उन्मुक्त एक विहंग ज़िन्दगी क्रमशः बने दहन नित नए भ्रम पुकारे उपलब्धियां सोच पुलकि...

तुम

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कौंध जाना वैयक्तिक इयत्ता है यूं तो सांसों से जुड़ी सरगम हो स्वप्न यथार्थ भावार्थ परमार्थ कभी प्रत्यक्ष तो कभी भरम हो अनंत स्पंदनों के ...
गुरुवार, 29 मार्च 2018

भोर

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भोर की पलकें और चेहरे पर जम्हाई मन में राधा सी लगे रागभरी तन्हाई कोमल खयाल सिद्धि जीवन की कहे एक शुभ दिन आतुर व्यक्त को बधाई सुबह के स...
बुधवार, 28 मार्च 2018

आधुनिक जीवन

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बूंदें जो तारों पर लटक रही तृषा लिए सघनता भटक रही अभिलाषाएं समय की डोर टंगी आधुनिकता ऐसे ही लचक रही चुनौतियों की उष्माएं गहन तीव्र वा...
मंगलवार, 27 मार्च 2018

ऑनलाइन प्यार

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मधुर मृदुल करतल ऐसा करती हो हलचल स्मित रंगोली मुख वंदन करती आह्लादित प्रांजल सम्मुख अभ्यर्थना कहां मन नयन पलक चंचल फेसबुक, वॉट्सएप, ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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