निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 28 मार्च 2018

आधुनिक जीवन

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बूंदें जो तारों पर लटक रही तृषा लिए सघनता भटक रही अभिलाषाएं समय की डोर टंगी आधुनिकता ऐसे ही लचक रही चुनौतियों की उष्माएं गहन तीव्र वा...
मंगलवार, 27 मार्च 2018

ऑनलाइन प्यार

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मधुर मृदुल करतल ऐसा करती हो हलचल स्मित रंगोली मुख वंदन करती आह्लादित प्रांजल सम्मुख अभ्यर्थना कहां मन नयन पलक चंचल फेसबुक, वॉट्सएप, ...
शनिवार, 24 मार्च 2018

जीवन मूल्य

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पता नहीं जीवन समझाता नहीं लीक पर चलना भाता नहीं लोग कहते हैं जीवन गणित है हर जीवन लचीला नमित है मैं मनमौजी जीवन ज्ञाता नहीं लीक पर चल...
मंगलवार, 20 मार्च 2018

कार्यालय

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कारवां के बदलते अंदाज़ हैं कैसे कहें नेतृत्व जाबांज है सूख रही बगीचे की क्यारियां फिर भी टहनियों पर नाज़ है सिर्फ कागजों की दौड़ चले फो...
सोमवार, 19 मार्च 2018

बालियां

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फूलों से लदी झूमे जो डालियाँ तुम्हारी बालियां भौरें की परागमयी लुभावनी पंखुड़ियां तुम्हारी बालियां तट की तरंगें बगुला की युक्तियां तु...

हिंदी

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चलत फिरत चौपाल चहुबन्दी कहते सबकी जुबान है हिंदी समरसता युग्म एकता रचाए रश्मियों की मुग्धजाल है हिंदी सब जानें बातों की ही हिंदी भाषा...
बुधवार, 7 मार्च 2018

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

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शब्दों की गुहार है उत्सवी खुमार है आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस झंकार है शहर, महानगर व्यस्त हैं आयोजन में अर्धशहरी, ग्रामीण मस्त अनजाने...
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मेरे बारे में

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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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