निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

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ऐसी ना आप करो ठिठोली अबकी बहकी होली में भींग चुकी हो रंग-रंग अब भावों की हर टोली में कोरी चूनर की मर्यादा पुलकित रहे हर टोली में बहक...

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कैसी-कैसी कसक रही बोली है मौसम ले अंगड़ाई बोले होली है कल्पनाएं रचाएं व्यूह रचना अजब खुद को सायास कोशिश रखें सजग गज़ब-अजब अंदाज़ अलबेली र...
सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

गेसुओं की छांव

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नवीनता के लिए उम्दा जज्बा चाहिए गेसुओं की छांव का सघन कब्जा चाहिए कुछ भी अकेले न कर सके कोई तो पलकें हों बोलतीं लरज सजदा चाहिए बहुत द...

मेरी मिल्कियत

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मैं अपनी हद में जी रहा यह है मेरी मिल्कियत खुश रहूँ या नाखुश मैं क्यों बिगड़े उनकी तबियत किसी के हांथों पर माहताब खिले न खिले, काबिलिय...
शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

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सृष्टि आकृष्ट हो समिष्ट हो गई अर्चनाएं अनुराग की क्लिष्ट हो गई व्यक्तित्व पर व्यक्तित्व का आरोहण गतिमानता निःशब्द मौन दृष्टि हो गई प्...

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बस मुनादी ध्वनि उदासी उत्सवी रह-रह तमाशा राजभाषा जो रहा 80 दशक में जारी है अब भी मसक के नवीनता लिए हताशा राजभाषा प्रबंधन ने दी स्...
गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

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प्यार के बयार में नए श्रृंगार मन अतुराये लिए नई तरंग कोई यूं आया मन-मन भाया महका परिवेश ले विशिष्ट गंध भावनाएं उड़ने लगीं आसक्ति डोर म...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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