निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

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मीटिंग एक आदत या अनिवार्यता नियमित है होती नया अक्सर लापता इस संग यदि समारोह जुड़ जाए भोजन समय चर्चा, कहो क्या पाए फोटो की होड़ को...
शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

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मैं यह जानता हूँ सच्चा प्रायः दंडित होता है मैं मानता हूँ हो सशक्त आधार खंडित होता है, मैं यह देखता हूँ कर्मठ प्रायः लक्षि...
सोमवार, 21 अगस्त 2017

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अस्मिता असमंजस में ओजस्विता कश्मकश में ये अद्भुत बुद्धजीवी लेखन लांछन में चिंतन के छाजन में ये अद्भुत बुद्धजीवी हिंदी के ह...
बुधवार, 16 अगस्त 2017

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बेचैनियां करा देती हैं एहसासी गबन ऐ भ्रष्टाचार तू स्पंदन में ढल गया नादानियाँ प्यार की आभूषण लगे ऐ शिष्टाचार तू क्रंदन में गल गया ...
सोमवार, 14 अगस्त 2017

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राष्ट्र है धृतराष्ट्र ना बना करोड़ों की शान मन में है घना राष्ट्र है शास्त्र कई आधार बना जीवन के कई पथ बना करे सामाजिक संघट...

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बस एक थोड़ा सा मन है शेष तो सब यहाँ गबन है थोड़ा वक्त थोड़ा प्यार है थोड़ी ज़मीं थोड़ा चमन है अख्तियार पूरा करने की ज़िद पूरा खुद कहा...

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विलुप्त न होने की हल्की गुहार शब्दों की हो गयी सावनी फुहार बूंदों ने राहों को जलमग्न किया तथागत के कदमों ने मान ली हार एक शब्द ए...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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