निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 10 जून 2017

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तीन बजे रात से तुम्हें सोचते रहा जैसे नमाज़ी सेहरी में मशगूल ईश्वर प्यार ही तो है, सब करें चांद की ख्वाहिश लिए उसूल भोर की मस्जिद की दि...
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सोमवार, 5 जून 2017

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तुम्हारी पलकों ने मेरी पलकों को छुआ आंखें खुली, सुबह धुली-धुली, दे दुआ यह स्वप्न था या एहसास था ना जानूँ पलकों में भोर का जल गया व...
शुक्रवार, 26 मई 2017

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आज निशा निमंत्रण है हृदय भी किए प्रण है चांदनीं में डूब नहाए मन स्पंदनों से गूंजे हर कण-कण है।                        -2- आज न...
गुरुवार, 25 मई 2017

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मन का आचमन हुआ, अचंभित है मन सब कुछ मिलाकर मन को तुम कर दिया पलकों में स्वप्न हो अधीर कर रहा विचरण अपनी हो कोई एक राह मन ढूंढ ला दिय...
सोमवार, 15 मई 2017

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 प्यार भरी दे रहीं धमकियां कुछ तो न किया क्यों मियां उनके तसव्वुर में बोल गया छुपाया है जो हमारे दरमियाँ बदगुमानी न बदमिजाजी...
शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

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हद है कि इश्क़ अब दीवान हो गया इंसान भी गुम होकर महान हो गया इश्क़ तकिया कभी बिछौना सा बनाएं आरामगाह तो कभी अभियान हो गया उनके ग...

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कुछ कुछ ज़िन्दगी सिखलाने लगी है दे इश्किया मिजाज बहलाने लगी है वर्षों से जिनके साथ कट रही है जिंदगी क्या हुआ कि ज़िन्दगी ही फुसलाने ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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