निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

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हद है कि इश्क़ अब दीवान हो गया इंसान भी गुम होकर महान हो गया इश्क़ तकिया कभी बिछौना सा बनाएं आरामगाह तो कभी अभियान हो गया उनके ग...

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कुछ कुछ ज़िन्दगी सिखलाने लगी है दे इश्किया मिजाज बहलाने लगी है वर्षों से जिनके साथ कट रही है जिंदगी क्या हुआ कि ज़िन्दगी ही फुसलाने ...

निज़ता

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निज़ता भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ताअभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई हैदिल की लिखी रूबा...

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शब्द सहमत नहीं भावनाएं ढल रहीं खयाल उनका है ऐसा लचक कहीं बल कहीं घनेरे बादलों से घिरा लगे आसमां चपल नहीं बिजलियाँ चमक रहीं ...

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मैं भी तो किसी जिस्म की फरियाद हूँ कल्पनाओं में अभी तक अविजित नाबाद हूँ ज़िन्दगी को जिस तरह जिलाओ जी लेती है मैं भी तो किसी खयालों ...
शनिवार, 11 मार्च 2017

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रंग-रंग परिवेश है, लेकर अपनी आस चाहत चठख रंग तलाशे, अपनी-अपनी प्यास फागुन आया लिए फुहारें, तन-मन हर्षाए नयन-नयन पिचकारी, ढूंढे कोई ख़...
शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

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ताश के पत्तों की तरह फेंट रहा दिल कोशिश यही कि जाएं खूब हिलमिल दिल का मिलना है जैसे सूर्यमुखी खिलना और फिर चहक उठें दिल दो खिल-खिल ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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