निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

तंत्र ज़िंदगी के

›
मेरी व्यथा , मात्र वेदना नहीं है सत्य यह कि , कहीं चेतना नहीं है संघर्ष के जहां में , बस कमान लिए   लक्ष्य की प्रतीति , पर भेदन...
2 टिप्‍पणियां:

नारी

›
जीवन ,  जगत ,  जश्न भरी किलकारी संभव वहीं जहां पुलकित है नारी व्योम सी विशालता धारा सा सहन सूरी सी प्रखरता चन्दा सी शीतल न्यारी ...
1 टिप्पणी:
रविवार, 23 दिसंबर 2012

सुनिए यह पुकार

›
आर्य भूमि का क्यों भूले सदाचार कुंठित कायरता और बलात्कार इंडिया गेट पर आक्रोशित युवा वर्ग लड़कियों ने दिखलाया शक्ति व प्रतिकार ...
2 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

आप अधर हो आप सफर हो

›
शब्दों की पुड़िया में एहसासों की मिठाई जब मिलती दिल खिलता आसमान अंगनायी इस धरती पर कितने हैं खुशियाँ देने वाले ऐसे इन्सानों को शत-शत...
बुधवार, 29 अगस्त 2012

अनहद अद्भुत

›
अनहद अद्भुत अकस्मात होता है तुम हो पास तो सबकुछ होता है वलय भावनाओं की मरीचिका बन दहन को शमित कर सघन बन मन के सीपी का, मोती सोत...
1 टिप्पणी:
मंगलवार, 3 जुलाई 2012

आप से प्यार ना हुआ है

›
आप से प्यार ना हुआ है  चुपके से एहसासों ने छुआ है  सोचिये समझिए ना सकुचाईए सावनी घटा सी बरस जाईये  प्यार होता तो होती एक पुकार मेरे ए...
1 टिप्पणी:
शुक्रवार, 22 जून 2012

स्वप्न नयनों से छलक पड़ते हैं

›
स्वप्न नयनों से छलक पड़ते हैं बातें इरादों में दब जाती हैं अधूरी चाहतों की सूची है बड़ी चाहत संपूर्णता में कब आती है चुग रहे ह...
7 टिप्‍पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.