निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 8 जून 2012

किसी उम्मीद में

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किसी उम्मीद में शब् भर  रहा,  जलता  दिया   भोर की किरणों ने, आकर जो हंगामा किया  तपिश से भर गया एहसास, एक खुशबू लिए सुबह की लालिमा ...
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सोमवार, 28 मई 2012

उम्मीद के जलते दिए

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अब मेरी उम्मीद के जलते दिए बोलकर मुझसे यह चल दिए और ना प्रतीक्षा अब हो पाएगी जिंदगी भ्रष्टाचार में समा जायेगी   हर तरफ अवसर के ...
शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

कैसा यह संसार है

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आज पलटकर जीवन ने , दिया मुझे धिक्कार है भारत भूमि भयभीत है , कितना भ्रष्टाचार है जीवन के हर पग पर , पक रहा निरंतर निठुर सत्कर्...
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मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

आज तमस में

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आज तमस में फिर सुगंधित अमराई है  सितारों ने जमघट आज फिर लगाई है  चाँदनी ने हौले से जो छूआ चौखट  आँगन तब से सिमटी, लजाई है  झूम र...
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गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

शब्द जब भावनाओं में ढलता है

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  शब्द जब भावनाओं में ढलता है ख़्वाहिशों संग मन पिघलता है एक मिलन की ओर बढ़ता प्रवाह ज़िंदगी तो फकत समरसता है जी भी लेने के हैं ...
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जीत अपूर्व

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  फिर हवाओं ने छुआ नवपल्लवित पंखुड़ियाँ नव सुगंध ने सुरभि शृंखला संव्यवहार किया अभिनव रंग में हुआ प्रतिबिम्बित प्यार फिर चाहत ने र...
मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

तुम्हारे हाँ का संदेशा

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मेरी मजबूरी है कि तुमसे बड़ी दूरी है सोचता हूँ कि दिल कैसे करीब आयें मुझे तुम याद करो इश्क़ आबाद करो और हम चाहतों का नित सलीब पाएँ  ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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