निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

सत्य-असत्य

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मार्ग है प्रशस्त कदम सभी व्यस्त मंजिल को छूने की सब में खुमारी है सत्य और असत्य का संघर्ष चहुंओर निर्णय ना हो पाए कैसी लाचारी है ...
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सोमवार, 26 मार्च 2012

संघर्षरत मेरी अमराई

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एक युद्ध ज़िंदगी है, चहुं ओर है लड़ाई  तुम ढाल भी हो और हो भाल के सौदाई  समर की ना बेला कोई और ना विश्राम  समझौता कहीं हो रहा कहीं विजय तो...
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बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

शक्ति, सामर्थ्य और कारवां

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शक्ति , सामर्थ्य मिले शौर्य स्वतः आए श्रेष्ठता स्वमेव कीर्ति पताका पा जाये भस्मासुर मानिंद जब करे वह परीक्षण कारवां में अबोला हताश...
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गुरुवार, 24 नवंबर 2011

झुक गयी साँझ

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झुक गयी साँझ एक जुल्फ तले चाँद हो मनचला इठलाने लगा सितारों की महफ़िलें सजने लगी आसमान बदलियाँ बहकाने लगा नीड़ के निर्वाह में जीव-जन्तु व्यस्...
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बुधवार, 23 नवंबर 2011

प्यार के गीत लिखो

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स्वप्न नयनों से छलक पड़ते हैं बातें ख्वाबों में अक्सर दब जाती हैं अधूरी चाहतों की सूची है बड़ी चाहत संपूर्णता में कब आती है ...
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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

नारी नमन तुम्हें

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और बोलो ना उदास दिल है बहुत तुमको सुनने की तमन्ना उभर आई है खुद से भाग कर तुम तक जाऊँ फिर लगे रोशनी नस-नस में भर आई है तुम ही ह...
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गुरुवार, 10 नवंबर 2011

दीप कहाँ और कहाँ सलाई

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जनम , ज़िंदगी , जुगत चतुराई लाग , लपट , लगन बहुराई आस अनेकों प्यास नयी है कैसे निभेगी कहो रघुराई चाकी बंद न होने पाये निखर- ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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