निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

चाँद चौखट पर बैठा

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चाँद चौखट पर बैठा चांदनी बिखर गयी आपके चहरे को छूकर चांदनी निखर गयी रात्रि ने करवट बदलकर आपसे क्या बात की चंद लम्हे में ही जुल्फें आपकी ब...
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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

प्रतिक्रियाएं आपकी

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प्रतिक्रियाएं आपकी प्रतीक हो गईं लेखनी मेरी भी अभिभूत हो गई शब्द-शब्द स्नेह की हो रही बारिश दिल की दिल से करतूत हो गई प्रतिक्रयाएं आपकी...
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शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

यथार्थ हो या कि मृगमरीचिका

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अनुपम,अनुभूत हो, अज्ञेय हो रिमझिम, झिलमिल प्रभाव है कलरव की अनुगूंज तुम हो चन्दा सरीखा तो स्वभाव है चंदनीय सुगंध ले शीतलता नयी ...
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गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

आपके नयन

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आपके नयनों की क्यारी में चमक रहे हैं जुगनू एकसे सारे मेरे लबों ने जो चाहा पकड़ना जुबान पर चढ़ गए खारे-खारे नयन में मेघ सी पुतलि...
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अपनी राहों पर चलनेवाले

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  अपने कर्मों में छुपा कर हसरतें सारी राह जीवन के हम चलते रहे हरदम लक्ष्य से छूटा ना कभी साथ मेरा छोड़ कर साथ मेरा बढ़ते रहे हमदम ...
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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

कैसे ना चाहे दिल

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क्या कहूँ क्या-क्या गुजर जाता है इश्क जब दिल से गुजर जाता है एक संभावना बनती है संवरती है पल ना जाने कैसे मुकर जाता है एक से हो गयी मोहब्...
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शनिवार, 9 अप्रैल 2011

बोल दो ना कब मिलूं

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रूप हो तुम चाहतों की निज मन की आहटों की और अब मैं क्या कहूँ और कितना चुप रहूँ केश का विन्यास हो कि अधरों का वह मौन स्पंदन ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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