निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

कैसे ना चाहे दिल

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क्या कहूँ क्या-क्या गुजर जाता है इश्क जब दिल से गुजर जाता है एक संभावना बनती है संवरती है पल ना जाने कैसे मुकर जाता है एक से हो गयी मोहब्...
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शनिवार, 9 अप्रैल 2011

बोल दो ना कब मिलूं

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रूप हो तुम चाहतों की निज मन की आहटों की और अब मैं क्या कहूँ और कितना चुप रहूँ केश का विन्यास हो कि अधरों का वह मौन स्पंदन ...
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गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

आज सुबह मुस्कराई

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आज सुबह मुस्कराई आपकी याद में भोर की किरणें मुझसे यूं लिपट गई मानों खोई राह की भटकनें कई पाकर अपनी मंज़िल दुल्हन सी सिमट गई व्यस्त जीवन...
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बुधवार, 6 अप्रैल 2011

पराक्रमी

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शक्ति,शौर्य, संघर्ष ही नहीं है हल संग इसके भी चरित्र एक चाहिए पद,प्रतिष्ठा,पराक्रम से न बने दल उमंग के विश्वास में समर्पण भी चाहिए लक्ष...
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सोमवार, 28 मार्च 2011

क्रिकेट

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एक शोर जोरशोर से चलाए हवा जिससे मुड़ जाती हैं अधिकांश निगाहें इसे ही कहते हैं हवा का रूख बदलना. एक व्यक्ति मिलाकर कुछ व्यक्ति लेकर...
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जीवन

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निर्मोही निर्लिप्त सजल है यह माटी में  जमी गज़ल है खुरच दिए इक परत चढ़ी चेहरे में भी अदल - बदल है लोलुपता लालसा लय बनी इसीलिए यह नई ...
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शुक्रवार, 25 मार्च 2011

प्यार पर एतबार

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एक चाहत प्यार का झूला झूले मन में उठती आकर्षण की हरकतें दौड़ पड़ता मन किसी मन के लिए यदि हो ऐसा तो कोई क्या करे एकनिष्ठ प्यार पर एतबार ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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