निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 28 मार्च 2011

क्रिकेट

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एक शोर जोरशोर से चलाए हवा जिससे मुड़ जाती हैं अधिकांश निगाहें इसे ही कहते हैं हवा का रूख बदलना. एक व्यक्ति मिलाकर कुछ व्यक्ति लेकर...
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जीवन

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निर्मोही निर्लिप्त सजल है यह माटी में  जमी गज़ल है खुरच दिए इक परत चढ़ी चेहरे में भी अदल - बदल है लोलुपता लालसा लय बनी इसीलिए यह नई ...
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शुक्रवार, 25 मार्च 2011

प्यार पर एतबार

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एक चाहत प्यार का झूला झूले मन में उठती आकर्षण की हरकतें दौड़ पड़ता मन किसी मन के लिए यदि हो ऐसा तो कोई क्या करे एकनिष्ठ प्यार पर एतबार ...
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गुरुवार, 24 मार्च 2011

बंधन

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उड़ चलो संग, साथ मिल जाएगा आसमान बदलियों सा झुकता नहीं भावनाओं का प्रवाह है निरंतर किसी अंतर पर यह रूकता नहीं बंधनों के स्थायित्व की खु...
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जीवन संघर्ष

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विगत प्रखर था या श्यामल था इस पहर सोच कर क्या करना मौसम भी है, ज़ज्बात भी है,   बहे भावों का निर्झर सा झरना पल-छिन में होते हैं परिवर्त...
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बुधवार, 23 मार्च 2011

प्यार की राह

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सूर्य किरणें कितनी व्याकुल हो दौड़ चलीं इस धरा पर  प्रीत जैसै  अब तीरथ हुआ है भोर की अरूणिमा में पुलकित हुई है चाहतें आज मन को फिर उन्हीं...
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शनिवार, 19 मार्च 2011

दर्द रंग में भींगा सकूं

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कर्मठता का रंग लिए मैं खेल रहा हूं होली सूनी आँखें टीसते दिल की ढूंढ रहा हूँ टोली रंग, उमंग, भाँग में डूबनेवाले यहाँ बहुत हैं ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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