निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 19 मार्च 2011

दर्द रंग में भींगा सकूं

›
कर्मठता का रंग लिए मैं खेल रहा हूं होली सूनी आँखें टीसते दिल की ढूंढ रहा हूँ टोली रंग, उमंग, भाँग में डूबनेवाले यहाँ बहुत हैं ...
5 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, 18 मार्च 2011

होली की बोली

›
आपके रंग  लिए उमंग , छेड़े जंग है आपके विचारों ने , भिंगाया है मन को आपको सोचता बैठा हूं , गुमसुम सा मैं खेल रहा होली संग , भूलकर तन ...
9 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 14 मार्च 2011

यह ना समझिए

›
  यह ना समझिए कि , दूर हैं तो छूट जायेंगी अबकी होली में मैंने , खूब रंगने की ठानी है यह ना समझिए कि , मिल ना सकेंगे हम आपके ब्लॉग से , मेर...
11 टिप्‍पणियां:

होली

›
गुम हो गया है दिल मौसम भी करे ठिठोली ऋतुओं की चितवन आई रंगों की लिए डोली यूं तो हैं रंग सारे पर कुछ ही तुम्हें पुकारे छूने को तड़प रहा ...
11 टिप्‍पणियां:
रविवार, 13 मार्च 2011

सुनामी भूकंप

›
क्या नियति है, निति क्या है, क्या है नियंता एक प्रकृति के समक्ष लगे सब कुछ है रूहानी क्या रचित है, ऋचा क्या है, क्या है रमंता एक सु...
8 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 10 मार्च 2011

रंगों का पर्व

›
  ऱंगों का पर्व आया रंग गई हवाएं मंद कभी तेज चल संदेसा लाएं एक शोखी घुल कर फिज़ाओं में पुलकित फुलवारी जैसी छा जाए अबीर,गुलाल से शोभित हो ग...
7 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 7 मार्च 2011

आज महिला दिवस है

›
शब्द शंकर हो गए बनी भावनाएं भभूत घंटियों की ध्वनि से बरस रहा रस है शिखर पर फहरा रही हैं रंगीन पताकाएं टोलियॉ गूंज उठी आज महिला दिवस है ...
12 टिप्‍पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.