भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
Nijatata काव्य
▼
गुरुवार, 10 मार्च 2011
सोमवार, 7 मार्च 2011
शुक्रवार, 4 मार्च 2011
गुरुवार, 3 मार्च 2011
मंगलवार, 1 मार्च 2011
रविवार, 20 फ़रवरी 2011