निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 10 मार्च 2011

रंगों का पर्व

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  ऱंगों का पर्व आया रंग गई हवाएं मंद कभी तेज चल संदेसा लाएं एक शोखी घुल कर फिज़ाओं में पुलकित फुलवारी जैसी छा जाए अबीर,गुलाल से शोभित हो ग...
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सोमवार, 7 मार्च 2011

आज महिला दिवस है

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शब्द शंकर हो गए बनी भावनाएं भभूत घंटियों की ध्वनि से बरस रहा रस है शिखर पर फहरा रही हैं रंगीन पताकाएं टोलियॉ गूंज उठी आज महिला दिवस है ...
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शुक्रवार, 4 मार्च 2011

तुम ना देती साथ

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जीवन के नित संघर्षों में, वेग बड़ा तूफानी है नित प्रवाह से मिले थपेड़े, संघर्षरत ज़िंदगानी है कदम दौड़ते रहते हरदम, हॉथों में लिए प्यास च...
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गुरुवार, 3 मार्च 2011

सत्य,असत्य

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सत्य का असत्य का है प्रादुर्भाव यहॉ किसका पलड़ा भारी है ख़बर नहीं हर किसी परिवेश में यह युग्मता एकनिष्ठ हो मानव इसकी सबर नहीं जीत ही अब...
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मंगलवार, 1 मार्च 2011

हे भैरव

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आदि से अनंत तक हो जिसका निनाद जिसके नेत्र से सदा आलोकित हो गौरव भस्म , भभूत , भंग , बन विकराल महाकाल शक्ति का प्रचंड प्रवाह   काल डरे सु...
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रविवार, 20 फ़रवरी 2011

नारी

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देखे जब दूसरे ग्रह , हमारी दुनिया सारी जहाँ भी देखे दिखलाई दे , पुलकित सी नारी यहाँ जन्म , तो वहां शिक्षा , दिखे तरक्की कैसे रच लेती है ...
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शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

सर्जनात्मकता

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  आज छल है मन अटल है, अपने विश्वास पर परिस्थितियों का कलकल है, बस शांत हो जायेगा जो चपल है नित्य धवल है, राग में अनुराग में कितना भ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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