निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

सर्जनात्मकता

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  आज छल है मन अटल है, अपने विश्वास पर परिस्थितियों का कलकल है, बस शांत हो जायेगा जो चपल है नित्य धवल है, राग में अनुराग में कितना भ...
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मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

मेरी गुईयां

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कहीं कभी संग मेरे कभी बन पतंग लुटेरे कभी बनकर पुरवैया लगो बिन मांझी नैया मेरे संग चलती हो और बरबस खिलती हो धारा के विपरीत चलो खुद बनकर ख...
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सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

बहुत हो अच्छी तुम

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बहुत हो अच्छी तुम अच्छी लगती मुझे ब्लॉग पर जाकर रोज निहारता हूँ तुम्हें ना कहना गलती है या अपराध मेरा खींच ले जाते हैं वहां कुछ बा...
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रविवार, 13 फ़रवरी 2011

सारे गुलाब बिक गए

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सारे गुलाब बिक गए गुलाबो की आस में एक दिन क्या आया कि मोहब्बत जग गयी यह ज़िंदगी की दौड़ है हर कहीं पर होड़ है जतला दो प्यार आज ना कहना कि ह...
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शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

यह प्रीत कहाँ से पाई है

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  बोलो प्रिये कहाँ से इतनी प्रीत तुम्हें मिल पाई है हर चहरे पर लगा मुखौटा मौलिकता की दुहाई है सूखे सियाह चहरे पर चिपकी उदास सी ...
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शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

एक खयाल

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एक खयाल भाग उठा उस दिशा की ओर जिस तरफ से प्रीत की सदाएं आ रहीं कल्पनाएं, भावनाएं हो रहीं अधीर अब धड़कनें अनुराग का हैं गीत गा रहीं आगमन...
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मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

बसंत पंचमी और वेलेंटाइन

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सत्य के अलाव में सौंदर्य की अनुभूति उष्मामयी जीवन का प्यारा अभिनंदन है बसंत पंचमी में लग रही नव वासंती हो चिहुंक उठा मन वेलेंटाइन का जो क...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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