निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 27 जनवरी 2011

आपका चेहरा

›
आपका चेहरा ना देखा कुछ ना देखा बोल की मिश्री ना तो कैसी मिठास चांद चलता चांदनी ले चुलबुली लहरें तट पर दौड़ती कर अट्ठहास तृप्ति का अनुभव...
6 टिप्‍पणियां:
बुधवार, 26 जनवरी 2011

चाहतों की चुगलियां

›
चाहतों की चुगलियों की चाशनी तुम भी तो चखती होगी रागिनी एक मिठास पुष्प से भ्रमर उड़ाए सूर्य रश्मियां निरखें बन कुनकुनी ज़ुल्फ उड़ाने की...
2 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 24 जनवरी 2011

तृप्ति का बस एक गोता

›
भावनाएं भीरूता का अक्सर करें प्रदर्शन कल्पनाएं विहंगमयी नभ को करे कमतर युग्म यह निर्मित करे अभिसार का त्यौहार कौन छूटा इससे नभतर हो या जल...
1 टिप्पणी:

आस की ज्योति

›
नयन नटखट पलक पटापट मन है हतप्रभ स्मित सिमट होंठों पर नव राग सजाए साज-सुर संगत करें नित रंगत समेटे इन्द्रधनुषीय भाल पर रहे बाण चलाए सागर...
5 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 22 जनवरी 2011

आहट

›
आहटों का क्या भरोसा बोल दें कब हाशिए से हसरतें कब छिटक जाएँ एक अंजुरी में सागर की लालसा चपल लहरों पर आकाँक्षाओं के दीपक सजाएँ र...
9 टिप्‍पणियां:
रविवार, 16 जनवरी 2011

रचयिता

›
सांखल बजती रही भ्रम हवा का हुआ   कल्पनाओं के सृजन की है यही कहानी डूब अपने में किल्लोल की कमनीयता लिए रसमयी फुहार चलती और कहीं जिंद...
6 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 15 जनवरी 2011

आकर्षण का सम्प्रेषण

›
कुछ करीब आकर जो कदम रुक गए धडकनें नगमे लिए यूँ गुनगुनाने लगी सूखे पत्तों में गूँज उठी हरियाली ठुमक पलकों की पर्देदारी लिए आँख बतिया...
3 टिप्‍पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.