भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
Nijatata काव्य
▼
शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010
बुधवार, 1 दिसंबर 2010
मंगलवार, 30 नवंबर 2010
सोमवार, 29 नवंबर 2010
रविवार, 28 नवंबर 2010