दर्द भी दिल के दायर को खूब सजाये
बेकरारी बेख़ौफ़ बढ़ती ही चले जाये
हवाओं की नमी में कैसा यह संदेसा
टीस उभरे और टपकने को मचल जाये
अंजुरी भर लिए खुशिओं का एक एहसास
दिन खुले और रजनी में समाता जाये
याद सजनी की खुश्बू सी रही फ़ैल अब
दिल बेचैन लिए बस्ती में घुमाता जाये
जो मिले बस मुझको पल भर को मिले
ज़िन्दगी को कौन यह जुगनू बनाता जाये
अपनी चमक से मिली ना तसल्ली अभी
दर्द के दाम में कोई मुझको बहाता जाये
धूप भी अच्छी लगे छाँव का हो आसरा
जेठ दुपहर में जीवन ना अब गुजारा जाये
दर्द में आह के सिवा ना कुछ और मिले
मैं भी मजबूर मुहब्बत ना नकारा जाये.
मंगलवार, 16 नवंबर 2010
कोयल पीहू-पीहू बोले
बोलो ना कुछ, अलसाया-अलसाया सा मन है
आओ करीब मेरे, सुनो यह मन कुछ बोले,
कितना सुख दे जाता है,पास तुम्हारा रहना
एक हसीन थिरकन पर,तन हौले-हौले डोले
और तुम्हारी सॉसो में लिपट,यह चंचल मन
गहरे-गहरे उतर, तुम्हारे मन से कहे अबोले,
और बदन तुम्हारा बहके,देह गंध मुस्काए
मेरी अंगुली थिरक-थिरक कर, पोर-पोर खोले
मुख पर केश जो आए, बदरिया घिर-घिर छाए
झूम-झूम अरे चूम-चूम,मेरी चाहत को तौले,
हॉथ कहीं तो श्वास कहीं,कहॉ-कहॉ क्या हो ले
छनक ज़िंदगी ताल मिलाए, कोयल पीहू-पीहू बोले
आओ करीब मेरे, सुनो यह मन कुछ बोले,
कितना सुख दे जाता है,पास तुम्हारा रहना
एक हसीन थिरकन पर,तन हौले-हौले डोले
और तुम्हारी सॉसो में लिपट,यह चंचल मन
गहरे-गहरे उतर, तुम्हारे मन से कहे अबोले,
और बदन तुम्हारा बहके,देह गंध मुस्काए
मेरी अंगुली थिरक-थिरक कर, पोर-पोर खोले
मुख पर केश जो आए, बदरिया घिर-घिर छाए
झूम-झूम अरे चूम-चूम,मेरी चाहत को तौले,
हॉथ कहीं तो श्वास कहीं,कहॉ-कहॉ क्या हो ले
छनक ज़िंदगी ताल मिलाए, कोयल पीहू-पीहू बोले