तत्व के महत्व की मनधारी मनौतियां
घनत्व में सत्व की रसधारी चिरौरियाँ
भावनाएं उन्मुक्तता के दांव चल रहीं
आराधनाएं रिक्तता की छांव तक रहीं
पुष्परंग सुगंध की भर क्यारी पंक्तियां
घनत्व में सत्व की रसधारी चिरौरियाँ
अस्तित्व के राग में चाहतों का फाग
व्यक्तित्व के निभाव में नातों की आग
तपिश तप खिल रहा कोई कहे घमौरियां
घनत्व में सत्व की रसधार चिरौरियाँ
कथ्य व्यक्त विमुक्त तथ्य कब निर्मुक्त
सुप्त गुप्त संयुक्त तृप्त तुंग तीरमुक्त
गूढ़ता लयबद्ध सुर ताल मिल औलिया
घनत्व में सत्व की रसधार चिरौरियाँ।
धीरेन्द्र सिंह
18.09.2024
16.15
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