भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
Nijatata काव्य
▼
बुधवार, 19 मार्च 2025
मंगलवार, 18 मार्च 2025
सोमवार, 17 मार्च 2025
रविवार, 16 मार्च 2025
शनिवार, 15 मार्च 2025