भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
Nijatata काव्य
▼
शुक्रवार, 24 जनवरी 2025
गुरुवार, 23 जनवरी 2025
बुधवार, 22 जनवरी 2025
मंगलवार, 21 जनवरी 2025
सोमवार, 20 जनवरी 2025
शनिवार, 18 जनवरी 2025