भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
Nijatata काव्य
▼
गुरुवार, 16 जनवरी 2025
बुधवार, 15 जनवरी 2025
मंगलवार, 14 जनवरी 2025
रविवार, 12 जनवरी 2025
शनिवार, 11 जनवरी 2025