निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

नैतिकता

›
 आदर्श अंतर्मन का संग्रहित सत्य सिद्धांत समय के ठोकरों से निर्मित अनुभव नैतिकता सामाजिक संचालन का अधिसंख्य सीकृति रूप, ऐसे में डोलता है, कां...
मंगलवार, 8 जुलाई 2025

न जाने कब

›
 सोशल मीडिया खत्म करे दूरियां न जाने कब परिचित लगने लगता है एक अनजाना नाम एक अनचीन्हा चेहरा और बन जाता है प्यार का धाम, शब्द लेखन से होती अभ...

जनक

›
 तुम भावनाओं की जनक हो तुम कविताओं की सनक हो तुम व्याप्त सभी रचनाकारों में तुम लिए साहित्य की खनक हो आप संबोधन लिख न सका, चाहा "तुम में...

चैटिंग

›
 चैटिंग करते-करते जब तुम बिन बोले भाग जाती हो, तो थम जाता हूँ मैं, तुम्हारे भागने से नहीं होती है हैरानी तुम्हारी अदा है यह, समेट लेता हूँ स...
सोमवार, 7 जुलाई 2025

जब भी

›
 जब भी देखता हूँ आपका फोटो उभरती है एक नई कथा जिसमें उल्लास की परत दर परत रहती है छिपी कोई व्यथा इसीलिए फोटो करते रहता है मुझसे बातें, यह बो...
रविवार, 6 जुलाई 2025

मन

›
 मन अगन लगन का गगन मन दहन सहन का बदन प्रतिपल अनंत  की ओर उड़े प्रति नयन गहन रचे तपोवन प्रतिभाव निभाव का आश्वासन प्रतिचाह सघन का रचे सहन मन हर...

मन उपवन

›
 चेतनाओं की है चुहलबाजियाँ कामनाओं की है कलाबाजियां एक ही अस्तित्व रूप हैं अनेक अर्चनाओं की है भक्तिबातियाँ एक-दूजे का मन सम्मान करे हृदय से...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.