सोमवार, 26 मार्च 2012

संघर्षरत मेरी अमराई

एक युद्ध ज़िंदगी है, चहुं ओर है लड़ाई 
तुम ढाल भी हो और हो भाल के सौदाई 
समर की ना बेला कोई और ना विश्राम 
समझौता कहीं हो रहा कहीं विजय तो दुहाई 

स्वेद मिश्रित लहू है या लहू संग स्वेद
ज़िंदगी को भेद रहा फिर आत्मीय संवेद 
अथक परिश्रम निनाद किन्तु वही चौपाई 
भाग्य की विडम्बना में दुनिया है समाई 

जो मिला है उसको बचाने का हर जतन 
तन-मन की गति में भावनाओं का उफन
मिलन के उल्लास में खिलखिला रही जुदाई
मेरे अपने बन गए या कि फिर मति बौराई

बहुत जीवन बीत गया लगे मौसम रीत गया
साथ जिसका मिल गया स्वप्न सा बीत गया
उम्र जितनी बढ़ती जाये निखरे उतनी तरुणाई
एक तलाश, एक प्यास संघर्षरत मेरी अमराई.  


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

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